कभी सोचा है िक एक कलाकार के िकतने पहलूँ हो सकते हैं ? एक इंसान अपने ख़्वाब को पूरा करने के िलए िकस हद तक जा सकता है ? इन प्रश्नों पर ध्यान कें िद्रत करते हुए अिन्वता दत्त गुप्तन की िफ़ल्म ‘कला’ जो की नेटिफ़्लक्स पर दशार्ई जा रही है िजसमे इरफान ख़ान के बेटे बािबल खान एवं तृिप्त िडमरी िदखाई दे रहे है । कला , बाबील ख़ान की डेब्यू िफ़ल्म हैं ।
यह एक बेहद खूबसूरत कहानी है उस लड़की की जो अपने माँ का प्रेम और तवज्जो पाने के िलए एक अच्छी गाियका बनने की कोिशश करती है ।समाज की चकाचौंध देख कै से एक लड़की ईष्यार् के कारण अपने िसद्धांत भूल िसफ़र् यश के पीछे भागती ह।ै हमे इस िफ़ल्म में देखने को िमलता है कै से एक माँ के िलए अपनी सगी बेटी से ज़्यादा, समाज में अपना नाम और यश बनाए रखना ज़रूरी हो जाता ह।ैं
इस िफ़ल्म में हमे लड़का लड़की के बीच में हो रहे भेद-भाओं को िदखाया गया है , कै से एक लड़के को और उसकी ख़्वािहशों को महत्त्व िदया जाता है और कै से एक लड़की के सपनों को नज़रअन्दाज़ िकया जाता है ।
िफ़ल्म के सभी अिभनेताओं ने अपना िकरदार बहुत पूणर्ता से िनभाया है । सब ने बहुत ही उम्दा एिक्टं ग की है ।
हमारे भारत के इितहास में क्लािसक संगीत का बहुत महत्व रहा है । यह िफ़ल्म संगीत प्रेिमयों के िलए एक सौगात की तरह है । िफ़ल्म के गाने जैसे ‘शौख़’ , ‘घोड़े पे क्यों सवार ह’ै , ‘रुबाइयाँ’ मशहूर गायक अिमत ित्रवेदी ने गाये है िजनको जनता से बहुत प्यार िमला है । कला की संगीत ४०-५० के दशक की संगीत को दशार्ती है । इस िफ़ल्म के सभी संगीत कणर्िप्रय है । आजकल के ज़माने में जहाँ लोग शोर शराबें वाले संगीत को पसंद करते है वहाँ ऐसे क्लािसकल गानों का लोकिप्रय होना बहुत अनोखी बात है ।
कलाआजकलके ज़मानेमेंबननेवालीिफ़ल्मोसेकाफ़ीअलगहै।आजकलके बॉिलवुडमेंऐसीक्लािसकिफ़ल्मेंबनाना मुिश्कल ह,ै जो अिन्वता दत्त ने बखूबी से कर िदखाया है ।कला में दशार्ए गए कु छ तथ्य वािस्तिवक जीवन से हुबहू मेल खाती ह।ै
कला एक रहस्यमिय कहानी है िजसको अंत तक देखने पर इंसान को मजबूर कर देता है । क्या वो परुु ष प्रधान समाज में अपनी इज़्ज़त बना पाएगी ? क्या वो कभी वह यश हािसल कर पाएगी िजसके पीछे वह भाग रही थी और अगर हािसल कर िलया क्या वह उस यश को सम्भाल पाएगी ? क्या होगा कला की ईषार् का ?
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